
गांगुली ने टाटा मोटर्स और बाइजूस से प्रचार करने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया (फोटो साभार- Sourav Ganguly Instagram)
हर्ष जैन ने कहा, ”हम सौरव गांगुली के व्यक्तिगत तौर पर किए जाने वाले ब्रांड प्रचार को लेकर चिंतित नहीं हैं. यह बीसीसीआई का आंतरिक मामला है और इस मुद्दे पर मैं कोई और टिप्पणी नहीं करुंगा.”
पीटीआई-भाषा को जेएसडब्ल्यू समूह के सूत्रों से यह पता चला है कि भारतीय टीम के यह पूर्व कप्तान स्टील का निर्माण करने वाली इस कंपनी से अब नहीं जुड़े है. उन्होंने बीसीसीआई अध्यक्ष पद संभालने के बाद इस भूमिका को त्याग दिया था. जेएसडब्ल्यू समूह इंडियन प्रीमियर लीग फ्रैंचाइजी दिल्ली कैपिटल्स की सह-मालिक है.
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बीसीसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ”सौरव गांगुली ने टाटा मोटर्स और बाइजूस से प्रचार करने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था, क्योंकि दोनों ही बीसीसीआई के प्रायोजक थे. ऐसे में हितों के टकराव का सवाल कहां उठता है.” उनसे जब यह पूछा गया कि क्या इस मुद्दे पर गांगुली को घेरा जाएगा तो, उन्होंने हंसते हुए एक उदाहरण का हवाला दिया.उन्होंने कहा, ”एन श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मयप्पन को 2013 में स्पॉट फिक्सिंग में शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किए जाने के बाद हर बैठक से पहले मीडिया लिखता था कि श्रीनिवासन पर नकेल कसी जाएगी, लेकिन मैं आपको बता दूं कि ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था.” खेल मामलों के वकील विदुषपत सिंघानिया भी गांगुली के प्रचार से जुड़े मामले में हितो का टकराव नहीं देखते है.
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उन्होंने कहा, ”अगर बीसीसीआई के प्रायोजकों ने करार में यह लिखा है कि कोई भी पदाधिकारी व्यक्तिगत क्षमता पर किसी प्रतिद्वंद्वी कंपनी का हिस्सा नहीं हो सकता है, तो हितों के टकराव का मामला बनता है. इस मामले में, मुझे नहीं लगता कि ड्रीम 11 के अनुबंध में इसका जिक्र है.” बीसीसीआई के नियमों के मुताबिक, ”कोई भी प्रशासक या उसके निकट संबंधियों को किसी ऐसे कंपनी / संगठन से जुड़ा हुआ नहीं होना चाहिए, जिसने बीसीसीआई के साथ वाणिज्यिक समझौता किया है.”