नई दिल्ली: हरियाणा (Haryana) के पानीपत जिले के रिशिपुर गांव से एक झकझोर देने वाली खबर सामने आई है. यहां 39 वर्षीय राम रति नाम की महिला को उसके पति ने पिछले करीब 1.5 साल से एक 3 बाय 3 के बाथरूम में बंद कर रखा था. इस महिला ने कई दिनों से कुछ खाया पिया नहीं था और इसलिए इस महिला का शरीर बुरी तरह से कमजोर हो चुका है. छोटे से बाथरूम में बंद होने की वजह से राम रति ठीक से हिलडुल भी नहीं पा रही थी और कमजोर शरीर की वजह से ये महिला आज की तारीख में चलने फिरने में भी सक्षम नहीं है.
इस महिला के पति का नाम नरेश है. राम रति और नरेश की शादी 20 वर्ष पहले हुई थी. पानीपत जिले की पुलिस को किसी ने इस महिला की स्थिति के बारे में सूचना दी थी. एक हफ्ता पहले जब पुलिस की टीम राम रति को बचाने पहुंची तो उसका पति नरेश बड़े आराम से पड़ोस के लोगों के साथ ताश खेल रहा था. उसके अपने किए पर पछतावा तक नहीं था.
प्रताड़ना के बाद भी पति का सम्मान नहीं भूली पत्नी
राम रति ने बहुत दिनों से कुछ खाया पिया नहीं था, इसलिए जब उसे इस बाथरूम से बाहर निकालकर नहलाया गया और साफ सुथरे कपड़े पहनाए गए तो उसने खाने के लिए रोटी मांगी और राम रति एक-एक करके आठ रोटियां खा गई, इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वो कितनी भूखी थी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पति का इतना अत्याचार सहने के बाद भी राम रति ने इस काल कोठरी से बाहर आते ही क्या किया? राम रति ने सबसे पहले पहनने के लिए चूड़ियां और बिंदी मांगी और खुद को एक शादी शुदा महिला की तरह तैयार किया. यानी एक औरत अपने पति द्वारा सताए जाने पर भी उसका सम्मान करना नहीं भूली जबकि उसका पति अपनी पत्नी को गंदगी के ढेर में छोड़कर अय्याशी करता रहा.
गिरफ्तारी के अलग ही दिन पति को मिल गई जमानत
राम रति के साथ उसके पति ने जो किया वो तो अमानवीय है ही, लेकिन इसके साथ जो सिस्टम ने किया वो और भी ज्यादा अमानवीय है. पुलिस ने इस महिला के पति को घरेलू हिंसा के आरोर में गिरफ्तार तो कर लिया, लेकिन उसे अगले दिन ही जमानत मिल गई. अब आप सोचिए जिस व्यक्ति ने अपनी पत्नी को डेढ़ साल तक तीन फिट के टॉयलेट में बंद रखा वो पति जेल से बाहर आने के बाद अपनी पत्नी की क्या हालत करेगा? ये हमारे समाज का वो पहलू है जिस पर कोई बात नहीं करता, पत्नियां पतियों के हाथों सताई जाती हैं, जलाई जाती हैं, उन्हें मारा पीटा जाता है, दहेज के लिए उनकी हत्या कर दी जाती है, बेटा पैदा ना करने पर घर से निकाल दिया जाता है और इतना सब कुछ हो जाने पर भी हमारा सिस्टम ऐसे लोगों को कुछ ही घंटों में बेल दे देता है. ये घटना पानीपत की है जो देश की पार्लियांमेंट यानी संसद से सिर्फ 91 किलोमीटर दूर है. लेकिन पानीपत की इस घटना ने आज देश के नेताओं और देश की व्यवस्था चलाने वाले लोगों को पानी पानी कर दिया है.
पति ने लगाए मानिसक बीमारी के आरोप
राम रति के तीन बच्चे हैं जिनमें दो बेटे और एक बेटी हैं. राम रति अपने बच्चों से बहुत प्यार करती है क्योंकि वो जैसे ही बाथरूम से बाहर निकली उसने सबसे पहले अपने बच्चों को पुकारा. लेकिन राम रति के पति का कहना है कि वो मानसिक रूप से ठीक नहीं है. और इसीलिए उसने राम रति को बंद करके रखा था. हालांकि महिला के पति के दावों के विपरित, पुलिस की जांच में महिला के मानसिक रूप से बीमार होने की कोई बात अभी तक सामने नहीं आई है.
चंडीगढ़ के अस्पताल में चल रहा इलाज
फिलहाल इस महिला का इलाज चंडीगढ़ के एक सरकारी अस्पताल में चल रहा है. इस महिला के घर में उसकी बुजुर्ग मां के सिवा कोई नहीं है इसलिए सवाल ये उठता है कि इलाज कराने के बाद राम रति कहां जाएगी? अगर वो अपने पति के पास लौटेगी तो क्या उसका पति फिर से उसकी यही हालत नहीं कर देगा? भारत में बड़े-बड़े आतंकवादियों और खतरनाक अपराधियों को जेल की जिस सेल में रखा जाता है उसका आकार भी दस बाय दस फीट का होता है. लेकिन राम रति के पति ने उसे तीन बाय तीन के टॉयलेट में बंद करके रखा था. फिर भी इस महिला के पति को बेल हासिल में करने में सिर्फ एक दिन का समय लगा.
न्याय होना अभी बाकी
हमें लगता है कि ये न्याय नहीं है और ऐसी घटनाएं न्याय व्यवस्था पर जो थोड़ा बहुत भरोसा बाकी है उसे भी कमजोर करती है. एक आदमी असल में तब नहीं हारता जब उसके साथ इस प्रकार की कोई हिंसा होती है. बल्कि वो तब हारता है जब सिस्टम उसे निराश कर देता है. अब देश भर की अदालतों और मीडिया को भी ये सोचना चाहिए कि गैर जरूरी विवादों पर ऊर्जा खर्च की जाए या राम रति जैसी महिलाओं को न्याय दिलाया जाए.
गैर जमानती धाराओं में मामला दर्ज होने के बावजूद मिली जमानत
पानीपत में घरेलू हिंसा के इस मामले में आरोपी पर IPC की जो धाराएं लगाई गई हैं वो हैं 498 A, 323 और 342 इनमें से 498 A गैर जमानती है. फिर भी आरोपी को एक दिन में बेल मिल जाना बहुत हैरानी की बात है. इस आरोपी को इतनी आसानी से बेल इसलिए मिल गई, क्योंकि राम रति के परिवार ने केस दर्ज करने से इनकार कर दिया था. राम रति के परिवार को ये डर है कि केस होने की स्थिति में राम रति का पति बच्चों के साथ भी हिंसा कर सकता है. लेकिन ये ऐसा पहला और आखिरी मामला नहीं है.
क्या कहते हैं आकड़े?
2016 के नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक, भारत में 33 प्रतिशत महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं. लेकिन इनमें से सिर्फ 1 प्रतिशत महिलाएं की पुलिस के पास शिकायत लेकर जाती है. भारत में महिलाओं की आबादी 67 करोड़ है यानी इनमें से 22 करोड़ महिलाएं कभी ना कभी अपने घरों में ही हिंसा का शिकार हो जाती हैं. लेकिन सिर्फ 22 लाख महिलाएं ही इसकी शिकायत कर पाती हैं. सर्वे में ये भी पता चला कि भारत में हर तीसरी महिला 15 वर्ष की उम्र आते आते किसी ना किसी प्रकार की हिंसा का शिकार हो चुकी होती है.
कोरोना काल में बढ़ी घरेलू हिंसा
कोरोना काल में पूरा देश भले ही लॉकडाउन में चला गया था, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में महिलाओं के खिलाफ होने वाले हिंसा के मामले इस दौरान कम नहीं हुए, बल्कि ये पहले से ज्यादा बढ़ गए. इस साल मार्च और मई महीने के बीच…घरेलू हिंसा के तीन लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे. ये पिछले 10 वर्षों में इसी अवधि के दौरान दर्ज किए गए सबसे ज्यादा मामले हैं. भारत में घरेलू हिंसा का शिकार होने वाली 86 प्रतिशत महिलाएं मदद मांगती ही नहीं और 77 प्रतिशत को इस हिंसा का जिक्र तक किसी से नहीं करतीं. महिलाएं जिक्र करके करेंगी भी क्या क्योंकि हमारा सिस्टम आरोपियों को बेल देने में एक पल की भी देर नहीं करता और बेल पर बाहर आकर हिंसा करने वाले पुरुष कई बार पहले से भी ज्यादा हिंसक हो जाते हैं.
हर तीसरी महिला की कहानी ऐसी ही
इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि महिलाओं को न्याय दिलाने के मामले में हमारा सिस्टम राम रति के शरीर से भी ज्यादा कमजोर हो चुका है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2018 में दहेज उत्पीड़न के मामलों में सजा मिलने की दर सिर्फ 13 प्रतिशत है. यानी 87 प्रतिशत आरोपी आसानी से बरी हो जाते हैं या फिर उन्हें समय रहते सजा ही नहीं मिल पाती. राम रति की कहानी आज हमने आपको इसलिए दिखाई, क्योंकि ये सिर्फ एक महिला की कहानी नहीं है बल्कि भारत में हर तीसरी महिला राम रति जैसा जीवन ही व्यतीत कर रही है, बस फर्क सिर्फ इतना है कि राम रति को उसके पति ने तीन बाय तीन फीट की काल कोठरी में बंद किया हुआ था, जबकि हिंसा का शिकार ज्यादातर महिलाएं जिन घरों में रहती हैं वहां रहने वाले लोगों के दिल इससे भी छोटे और इससे भी ज्यादा अंधेरे से भरे होते हैं.
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