नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मगलवार (20 अक्टूबर) को राष्ट्र को संबोधित किया. देश कोरोना महामारी से बीते 8 महीने से लड़ रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संदेश में इस लड़ाई में देशवासियों के सहयोग की सराहना की और साथ ही उन्होंने चेतावनी भी दी कि, लॉकडाउन भले ही खत्म हो गया है लेकिन वायरस खत्म नहीं हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस संबोधन से पीएम मोदी द्वारा जो पांच संकल्प सामने आए हैं. उनके बारे में आपको जानना चाहिए और इन संकल्पों को अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए.
ये हैं पीएम मोदी के 5 संकल्प
1- पहला संकल्प है जब तक दवाई नहीं तब तक ढिलाई नहीं. दूसरा संकल्प है.
2- दो गज की दूरी और मास्क है जरूरी.
3- त्योहारों के इस सीजन में तीसरा संकल्प सबसे अहम है. खुशियों का त्योहार है, लेकिन कोरोना पर करना प्रहार है.
4- चौथा संकल्प है वैक्सीन की तैयारी है लेकिन जंग अभी जारी है.
5- त्योहारों पर तैयारी से वार करना.
कबीर के दोहे से दी जनता को समझने की सलाह
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देश के नाम संबोधन में संत कबीरदास के एक दोहे का भी जिक्र किया. संत कबीरदास का वो दोहा जिसे वे सालों पहले कह गए थे. पीएम मोदी ने कबीर का दोहा सुनाया, पक्की खेती देखि के, गरब किया किसान. अजहूं झोला बहुत है, घर आवे तब जान.
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इसका अर्थ है कि अक्सर कई बार हम पकी हुई फसल देखकर ही अति आत्मविश्वास से भर जाते हैं कि अब तो काम हो गया लेकिन जब तक फसल घर न आ जाए तब तक काम पूरा नहीं मानना चाहिए. जानकारी के लिए बता दें कि प्रधानमंत्री का इशारा कोरोना वायरस की वैक्सीन की तरफ था.
त्योहारों के सीजन में लापरवाही पड़ सकती है भारी
संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री ने अमेरिका और यूरोप के देशों का भी उदाहरण दिया, इन देशों में जनता की लापरवाही के कारण एक बार फिर से कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. पीएम ने कहा, त्योहार और खुशियों के इस सीजन में एक लापरवाही, आपके पूरे परिवार को मुश्किल में डाल सकती है.
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